बिहार पुलिस के सर्कुल ने बिहार प्रेस बिल की याद दिला दी है
बिहार पुलिस के सर्कुल ने बिहार प्रेस बिल की याद दिला दी हैये सर्कुलर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हिसाब से असंवैधानिक हैनीतीश कुमार वैचारिक बुनियाद से हिल गए हैंबिहार के अपर पुलिस महानिदेशक नैयर हसनैन खान के सर्कुलर से बिहार में भूचाल आ गया है। इसमें सोशल मीडिया पर अधिकारियों, नेताओं, मंत्रियों यानी माननीयों के खिलाफ आपत्तिजनक, अभद्र और भ्रांतिपूर्ण टिप्पणियों को साइबर अपराध मानते हुए कार्रवाई की बात कही गई है।अगर माननीयों के खिलाफ अभद्र या अमर्यादित टिप्पणी होती है तो सदन में प्रिविलेज मोशन लाने का प्रावधान है। आईपीसी औऱ सीआरपीसी की धाराएं पहले से लागू हैं।जब महाराष्ट्र की उन दो बच्चियों की टिप्पणी पर हुई गिरफ्तारी से मचे भूचाल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट की धारा 66-ए को ही निरस्त कर दिया था। क्या ये बारीकियां सीएम नीतीश और डीजीपी एसके सिंघल नहीं समझते? जो बातें इस सर्कुलर के मुताबिक अपराध के दायरे में है उसे श्रेया सिंघल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में 2015 में ही असंवैधानिक करार दिया जा चुका है।66-ए के तहत कंप्यूटर संचार सेवाओं और कंप्यूटर के जरिए प्रसारित वैसी हर टिप्पणी को गैर कानूनी बताय गया था जिससे किसी का अपमान हो, आपसी दुश्मनी बढ़े, धमकी दी जाए या कोई और प्रतिकूल टिप्पणी की जाए।सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस हिसाब से किसी भी टिप्पणी की व्याख्या 66ए के दायरे में की जा सकती है। अंत में इस धारा को ही हटा दिया गया।1196